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तंजहा-पुवासाढा, उत्तरासाढा ॥ २ ॥ ता सावट्ठीणं पुणिमासिणं किं कुलं जोतेति उबकुलं जोतेति, कुलाबकुलं जोतेति ? ता साट्रिणं पाणिम कुलंवा जोतेति · उवकुलंबा जोतति. कूलावकुलंगा जोतेति, कुलं जोएमाणे धणिट्ठा णक्खते जोतेति.
उपकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोतेति. कुलावकुल जोएमाणे अभिय णखत्ते जोतेति ता - सावट्टिपुष्णिमा कुलं जोतेति,उवकुलंबा जोतेति,कुलावकुलंचा जोतेति कूलेणवा जुताउवनक्षाका योग होवे जिनके नाम- पुर्वाषाढा और २ उत्तराषाढा॥२॥अब कुल उपकुलका खुलासा करते हैं-अहो
भगवन् श्रावण मासकी पुणियाको क्या कुल नक्षत्र योग करे, उपकुल नक्षत्र योग करे,अथवा कुलोपकुल नक्षत्र अर्थIयोग करे? अहो शिष्य ! कुल नक्षत्र भी योग करे,अथवा उपकुल नक्षत्र भी यांग करे,अथवा कुलोषकुल नक्षत्र
भी योग करे. कुल नक्षत्र का योग होवे तो धनिष्ठा नक्षत्र होते. उपकुल नक्षा का योग होवे तो श्रवण नक्षत्र होवे और कुलोपकुल नक्षत्र का योग होचे तो अभिजित नक्षत्र होवे. इस से श्रावण मास पुर्णिमा को कुछ नक्षत्र योग करे, अथवा उपकुल नक्षत्र योग करे, अथवा कुलोपकुल नक्षत्र योग करे. इसी से यह पुनम कुल नक्षत्र से युक्त, उपकुल नक्षत्र से युक्त व कुलोपकुल नक्षत्र से भी युक्त है. यह श्रावण मास के पूर्णिमा के वक्तव्यता हुई. अहो भगवन् ! भाद्रपद मास की पूनम क्या फुल नक्षत्र का योग करे, उपकुल नक्षत्र का योग करे अथवा कुलोपकुल नक्ष का योग करे ? अहो शिष्य ! कुल।
40 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
पाचक-राजाबहादूर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी .
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