SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 48 सप्तदश चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र षष्ठ-उपाङ्ग +8 दोणिणक्खाता जोतेति ? तंजहा पुवाफग्गुणिय, उत्तराफग्गुणिया ॥ ता चेत्तीणं पुणिम कति णक्खत्ता जोतेति ? ता दोणि नक्खत्ता जोतेति संजहा हत्थो, चित्ताय, ॥ ता विसाहि पुष्णिम कति गक्खत्ता जोतेति ? ता दोणि णक्खत्ता जोयंति ? तंजहा-साती, विमाहायता जामुलीणं, पणमासीणं कति खत्ता जोतेति ? ता तिणि नक्खत्ता जोतिति, तंजहा-अणुराहा, जेट्ठा, मूल ५॥ता आसाढीणं पोण्णमासि कति नक्खत्ता जोतेति! ता दोणि नक्वत्ता जातेति अहो भगवन् ! फाल्गुन मास की पूर्णिमा को कितने नक्षत्र का योग होवे ? अहो शिष्य दो नक्षत्रों का योग होवे जिन के नाम-१ पूर्वाफ लगती और २ उत्तराफाल्गुनी. अहो भगगन ! चैत्र मास की पूर्णिमा को अ कितने मक्षत्र का योग होवे ? असे शिष्य! दो नक्षत्र का योग होवे जिनके नाम-स्त और २ चित्रा-14 अहो भगवन् : वैशाखी पूर्णिमा को कितने नक्षत्र का योग होवे ? अहो शिष्य ! दो नक्षत्र का योग होने जिन के नाम-स्वाति और विशाखा. अहो भमवन् ज्येष्ट मास की पूर्णिमा को कितने नक्षत्र का योग होवे ? अहो शिष्य ! तीन नक्षत्रों का योग होवे जिन के नाम-१ अनुराधा २ ज्येष्छा और ३ मूल. अहो भगान् ! अषाढ मासकी पूर्णिमा को कितने नक्षत्र का योग होने ? अहो शिष्य ! दो दशवा पाहुड का छठा अंतर 8 . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy