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________________ मत्र १७ मुनि श्री अम्मलक ऋषिजी क जातेति ? ता दाप्णि वखत्ता जोयति तंजहारवति, अरिसणी ॥ ता कत्तियाणं पोणिम कतिणवखत्ता जोतेति? ता दो पखत्ता जोतेति तजहा-भरणी कतिया ॥ ता मिगसिरिणं पुणिमं कइ नवखत्ता जोतेति ? ता दोणि नक्षत्ता जोयंति, तंजहा रोहिणी. मिगसिरंाता पोसिणं पुणिमं कति णक्खत्ता जोतेति ? ता तिणि नक्खत्त। जोतेति तंजहा अहा, पुण्णवसु, पुरसता माणिं पुष्मिं कति नक्खत्ता जोतेति? तो दोणि नक्षत्ता तंजहा-अस्सलेसा, महाय ॥ ता फागुणीणं पुणिम कति णक्खत्ता जोतेति? ता प्रकाशक-राजाबहादर लाला मुखदेवसहायजी ज्वाला मानना भाद्रपद और उत्तराभाद्रपद.अहो भगवन् ! अश्विन मासकी पूर्णिमाको कितने नक्षत्र योग करे? अहो शिष्य! दो क्षत्र योग करे जिन के नाम-१ रेवती २ अश्विनी. अहो भगवन् ! कार्तिक मासकी पूर्णिमाको कितने नक्षत्र योग करे ? अहो शिष्य : दो नक्षत्र, योग करे जिन के नाम-१ भरणि और २ कृत्तिका. अहो भगवन् ! मृगसर मास की पूर्णिमा को कितने नक्षत्र योग करे ? अहो ।शष्य ! दो नक्षत्र योग करे १ रोहिणी और १२ मृगशर. अहो भगवन् ! पोष पास की पूर्णिमा को कितने नक्षत्र योग करें ? अहो शिष्य ! तीन नक्षत्र का योग होवे जिन के नाम-१ आर्द्रा २ पुनर्वभू और ३ पुष्य. अहो भगवन् : माघ मासकी पूर्णिमा को कितने नक्षत्रका योग होवे ? अहो शिष्य ! दो नक्षत्रका योग होवे जिनके नाम-१ अश्लपा और २ मघा. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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