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________________ NR ता कहते पुष्णमासी आहितेति बदेज्जा ? तन्ध खलु इमातो बारस पुण्णमासीओ बारस अमावसाओ पण्णताओ तंजहा-साविट्ठी, पोट्ठवती, आसाइ, कत्तिया, मगसिरा, पोसी, माही, फग्गुणि, चेती, विताही, जेट्ठामुला, अस ढी ॥१॥ ता सावट्ठी पोण्णिम कतिणक्खत्ता नोतेति ? ता तिणि नक्खता जोयति तंजहा-अभिये, सवणे, धनिट्ठा ता षुटुवतीणं पुणिमं कति णक्खत्ता जोतेति ? ता तिणि पक्वत्ता जोयंति ? तंजहा-सतभिसया, पुवपोढ़वया, उत्तरापाठवया ॥ आसोतीणं पुणिम कति खत्ता अब छठा अंतर पाहुडा कहते हैं. अहो भगवन् ! आप के मत में पूर्णिमा व अमावास्या किस तरह से पूर्ण होती हैं ? उत्तर-अहो शिष्य ! एक संवत्सरकी बारह पूर्णिमा व बारह अपावास्या कही है. तद्यथा-- प्रावण मासकी श्राविष्ठा, २भाद्रपदकी पौष्टवती, ३ आश्विनकी आमोई ४ कार्तिक की कृत्तिका ५मृगः मगशिरा, ६ पोप की पोपी, ७ माघ की माघी, ८फ ल्गुन की फल्गुनी, ५चैत्र मास की चैत्री १० वैशाख मास की विशाखा, ११ ज्येष्ट मास की ज्येष्मूली और १२ अप ढ मास की अप ढी ॥१॥ अहो भगान ! श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन कितने नक्षत्र योग करते हैं ? अहो शिष्य ! तीन नक्षत्र योग करत हैं जिन के नाम-अभिजित, २ श्रवण और ३ धनिष्ठा. अहो भगवन् ! भाद्रपद माम की पूर्णिमा को कितने नक्षत्र चंद्र की साथ योग करते हैं? अहो गौतम! तीनः क्षत्र योग करते हैं. जिनके नाम-, शतभिषा, २ पूर्वा S .. 4g संप्तरश चंद्र प्रसप्ती सूत्र षष्ठ-उपाङ्ग 4 दवा पाहुड का छठा अंतर पाहुडा 18+ Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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