________________
*
LAता कईते मुतगे:अहिलेति बरेजा.?.ता ९एसिगं अविसए नक्वत्तागं, भत्थि
“नकवत्ता, जेणेव पक्खत्ता बमहुत्ते सत्तावीसंच मत्सट्रिभागे मुहुत्तस्म चंदेणं सहिं जंग जायंति.अस्थि णक्वत्ता जेण पण्णरस महत्ता चंदण माहि जागं जायंति अस्थि णक्खत्ता जेणं नम्वत्ता तिसं महत्ते चंदेणं सहिं जागं जातति अस्थिणं णखत्ता जेणं नक्षत्ता पणयालिसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जयंति ॥ १॥ एएसिणं अट्ठाविसाए नक्षत्ताणं कयर खत्ते जणं नक्वत नवमहत्त सत्ताविसंच सत्तसाद चंदेणं सदि जाग जाएति, सेणं एगे अभिए । नत्थणं केते गक्खना जेणं नक्खता .
Gurmainnoimmmmmmmmmmmmm
+8+ मारामाती लगा-माज
अब दूसरा अंतर पारा करते है. महो भगवन् ! भाप के मत में चंद्र की साय नक्षत्र की मुहूर्त से कही है। बहो विष्य ! उक्त अठाइस नक्षत्रों में किसनेक नसब ऐसे नो चंद्रमा की साय नव मुहून और एक मुहूर्त के सहमर भाग में के सत्तावीम भागमे बोग करते हैं और कितनेक नक्षत्र ऐसे हैं कि
चंद्रमा की माय पसरह मुहूर्न योग करते दें. कितनेक ऐस भी नक्षत्र हैं कि जो चंद्रमा की साय तीन मुहून जाग करते हैं और कितनेक नक्षत्र से भी हैं कि जो चंद्रमा की साथ पंतालीस मुहूर्त नाग करते हैं ॥ ॥ अब इन का खुलासा करते . अहा भगवन् ! इन अठावीस नक्षत्र में से ऐसे कौन से नफा कि जो चंद्रमा की साव नर मुहर्न र सरसठिये सत्तावीस भानसे योग करते हैं? उत्तर :
दशा पाहुडेका दूसरा तर पाहुडा 420
-
को
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org