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मगोलावतिछाया गोलपुजछाया, अवटुगोल जच्चाया ॥ इति पदपणसीए
नवम पाहुई सम्मत् ॥१॥ . . . . . छाया २३ पूर्णमा का चंद्र मध्य रात्रि में देखावे वह अर्ध गोलावता माया, २४ खबुचे की छाया सो गोलापुजवाया और २८ अर्थ गोलपुंजाया ॥ यह चंद्र माविका नया पाहुडा संपूर्ण हुवा ॥ ९ ॥
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बाशक-राजावहादुर लाम सुखदेवसहायजी ज्वालापसादनी.
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