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नववा
मस चंद्र प्रज्ञप्ति सत्र-पष्ट उपाहू
॥३॥ पागारछाया ॥ ४ ॥ उच छाया ॥ ५॥ अणलोमछाया ॥६॥ पडिलोमच्छ या ॥ ७ ॥ आराहिता ॥ ८ ॥ उहिया ॥ ९ ॥ समाएपडिहता ॥१०॥खील च्छाथा ॥ ११॥ पंथच्छाया ।। १२॥ परआदगा पिठओदगा ॥ १४॥ पुरम कदमागोगया ॥ १४ ॥ पछिम कंट्रभागाबगया ॥१५॥ छायाण दिगो ॥५॥ कद्राणु यादि ॥ १७ ॥ छायादिकप दहायं मगडच्छाया, ॥तत्थ खलु इमा अविहा गोलच्छाया, पण्णत्ता, तंजहा
गोलछ.या अवडगोल छ।या, गोल २ छाया, अबदुगेलरछाया, गोलावतिछाया, ओम छ'या, ८ लकडी गारे रस की कापा, ९ उढाइ हुइ की छाया, .. हाथ में पकडकर रखे उस की, छाया, ११ ले हा प्रथा लकर के खेल की छाया, १२ रने दलने हाथ मे चलाकर चले वह छाया
१३ पहिला हाथ ना करे पीछे नीचा करे उस की छाया १४ बाट के भाग में गत जैसे निशानीकर "तार में रयते छाया हाव मोपीछे नी देखकर चले सः छाया ६ छाया का अनुवाद प्रमाण
करे मा छाया कष्ट-को प्रयाण कर र वह छाया?८छ यादिक कम्प घडीस एक दीर्घपनासे खडा रहे. गडिया इस में आठ प्रकार की गोल छाया कही सपचा गोल छाया १९ अर्व गोल छाया २० गोलगोल
या पुटी सरवर्ष गोल गोलाया काचकेगोले जैसे २२ मध्य समयमें सूर्य रेखा नावे वैसे गोलवती 17
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