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सूत्र
अनुवादक-धालब्रह्मचरी मुनि श्री अमालक ऋषिजी -
गरणं जाव ता अगुट्ठि पोरिसीणंछ'या दिवपरस किं गएवा. सेसेवा ता एकूण वीससतं . . भोगवा, सेसंत्रा सातिरेग अगुणमट्टि परिसीणं च्छाया दिवसस्स · किं गतेवा
सेलेचा, ताणं किंगत किंचिविगतका ससेवा॥ ५ ॥ तत्थ खलु इमा १०वासंतिावेहा... . छ.या पणत्ता तंजहा-खंभच्छाया ॥ १ ॥ रज्जुच्छाया ॥ २ ॥ पासायच्छाया : पर्य पुरुष छाया की पच्छा .? दिनामान थोडा जावे और शप वहत रहे अर्थन २६ घडी के दिन में १२ घर का दिन आवे और २४ घडी दिन शेष रहे धगैरह सर पनरहर पाइंड में कहा वैसे कहना. जन गुगट पुप छाया होने तब कितना दिन जावे व कितना दिन शेष रहे ? उत्तर-दिन का ११९ था माग जावे अर्थात पहिले मंडल ३६ घडी का दिन होता है ३६ घडी को ११९ का भाग देने से १८ पल भोर एक पल के ११९ भाग को मे १८ भ ग अवे. इतना माग दिन जा और ३५ घबी ४० पल भार एक पल क १११ भाा में १०१ 111 को है नत्र ग हा छ या का प्रपण अच, प्रश्न-जब स क गुण ठ पुरुष छपा हापन दिन का किन भाग भनेर किनन। शप ? उत्तरसूर्य की विज्ञान व किंचित दिन जावे और शेष दिनत्र साधक गुणमठ पुरुष छाया का
प्रगण होत्र ॥५॥छा के पच्चास मंद कहे हैं. नद्यथा- संग की छाय', २ रस्सी का छाया, साकार को छाया, ४ प्रासाद की छाय, ५ शिखरबन्ध महेल की छाया ६ अनुलाम छाया, ७ प्रति
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमायनी ज्वालापुसदाजी.
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