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________________ १२५ सप्तदश चन्द्रप्रज्ञाप्त मूत्र षष्ठ-उपाङ्ग 48+ ... दिवसे. भवइ, जयाणं उत्तरड्डे सत्तरस मुहुत्ते दिवसे भवति तयाणं दाहिणड्डेवि 14 सत्तरस मुहुत्ते दिवसे भवति ॥ एवं एएणं अभिलावणं सोलसमुहुत्ते, १०णरस मुहुत्त चौदस मुहत्ते, तरममहुत्ते, ता जयागं दाहिगड्ढे बारसमुहत्ते दिवसे भवति तयाणं उत्तरढवि बरसमुहुत्ते दिवसे भवति,ता जयाणं उत्तरकै बारस मुहुत्ते दिवसे भवति तयाणं दाहिणारी बारसमहत्ते दिवसे भवति तयाणं जबूद्दीबंदीवे मदरस्म पव्वयस्स पुरथिम पच्चत्थिमणं सया पण्णरस मुहत्ते दिवसे भवति, सया पणरस मुहुत्ता राई भवति दक्षिणार्ध में सोलह महून का दिन होवे तर उत्तरार्ध में भी सोलह मुहूर्त का दिन होवे, और जब उत्तरार्ध में सोलह मुहका दिन हवे तर दक्षिणार्ध में मोलह मुहूर्त का दिन होवे; जब द क्षणार्ध में पनाह मुहूर्न, का दिन हावे तब उत्तरार्ध में भी पनाह मुहूर्त का दिन होवे, और जब उत्तरार्ध में पन्नरह मुहूर्त का दिन होवे तब दक्षिणार्ध में भी पन्नाह मुहूर्त का दिन होने; जब दक्षिण में च उदह मुहू का दिन होवे तब * उत्तरार्ध में भी च उदह मुहू का दिन, और जर उत्तरार्ध में चउदह मुहू का दिन हाबे तव दक्षिणार्ध में भी चउदह मुहू का दिन होवे; जब द क्षणार्ध में तेरह मुहूर्त का दिन होवे तब उत्तरार्ध में भी तेरह मुड़ ।। का दिन, और जब उत्तरार्ध में तेरह महतका दिन तब दक्षिणार्ध में भी तेरह मुहूर्त का दिन, जब दक्षिणा । 48848 आटवा पाहुडा + 4 . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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