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. सठियाणं चंदिमा॥३॥ता. विसमचउकोण संठियाणं वंदिमा॥४॥ता स.
चक्नवाल संठियागं चदिमा॥ ५ ॥त विममचकवाल संठियाणं चंदिमा ॥६॥ ताचऋद्ध चकवाट मठिाण चादमा ॥ ७ ॥ ता छनागार संठियाणं चंदिमा ॥८॥ ता गहागार संठिाणं चदिमः ॥ १॥ तागंह व मंठियाणं चदिमा सरियाणं संठिति आहिनि वजा ॥१०॥ तापम्गय मंटियाणं चदिमा ।। ११ ॥ तागोपुर संठियाणं बदमा ॥ १२ ॥ तापिन्छ बर सठिमागं वदना ॥ १३॥ तावलाभ
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4. अनुवादक-बालबागचागे मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
वाले हैं किक रेग कहा है कि साकार वाले हैं १० किन नेक ऐमा कहते हैं कि गृहापण ENTEान ] के आकारगर हैं, किसने कहा है कि प्रसाद के आकाग्वाले है १२ कितनेक
। कहत: कि गोपुर के आकारवाल २३ कितोक एमा करते हैं कि प्रेक्षगृह के आकास्वाले हैं ११४ कितनेक ऐमा कहते है कि सभी (वर्णकुटा ) के धाक वाले हैं १५ कितनेक एमा कहते हैं कि मोहन के आकार और कितनक ए का है कि वालकपोन चारकों को क्रीडा करने की नावा के प्राकारवाले चंद्र सूर्य के विवाहै. इन सोलह में से जो ऐसा कहने हैं कि मंद्र सूर्य के विन सपनतख संस्थान से रह इन काही कथन ग्रहण करना; परंतु अन्य का नहीं ग्रहण करना. जैन मत में चंद्र सूर्य के विमान अर्थ कृषिट के आकारवाले कहे हैं और चद्रं के पंडल आश्री समचतम
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुमदनमहायजी मालाप्रसादमा.
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