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समदश चंद्र पहाति सक्रम पान
सत्त समुद्दे चंदिम सूरिया जाव पभासंति जाघ वदेजा,एगें एवसाइंस॥॥एगेपुण एवमाहंसु ता दसदीवे पतसमुहे चंदिमा जान पक्षासंति वदेजा. एगे एवमाहंमु ॥ ५ ॥ एगेपुण एवमासु दुवामाने दुबालसद पदिल जार पाति वदजा, एग एवमाहनु
॥ ६ ॥ एगे तो सपालीसहीरे दयालीसंससुद्दे पंदिर जाव पभासंति वदेज्जा, । एगे एबमाइंसु ॥णाएगेपुण वायरिदीचे वायत्तरि समुद्दे चंदिम सूरिया जाव पभासंति, १ वदेजा, एगे एबमाइंसु ॥ ८ ॥ एगेपुण ता वपालीसं दीपसयं वयालीसं समुद्द हैं कि चंद्र दूर्य बीयालीस द्वीप पीयालीस समुद्र में प्रकाश करते हैं, कितनेक ऐसा कहते हैं कि चंद्र सूर्य बहुसर द्वीप बहुत्तर समुद्र में प्रकाश करते हैं, ९ कितनेक ऐना कहते हैं कि चंद्र सूर्य एक बयालीस द्वीप एक सो बयालीस समुद्र में प्रकाश करते . कितनक एसा कहते हैं कि एक सो बहुत्तर द्वीप एक सो बहुत्तर समुद्र में चंद्र सूर्य प्रकाश करते हैं, ११ कितनेक ऐसा कहते हैं कि चंद्र बयालीस हजार दीप बयालास जार समुद्र में प्रकाश करते हैं और १२ कितनेक ऐसा कहते हैं कि बहुत्तर हजार द्वीप बहुत्तर हजार समुद्र में चंद्र मूर्य प्रकाश करते हैं. ॥१॥इस कथन को मैं इस प्रकार कहता हूंक पह जम्बूद्वीप नामक द्वीप यावत् परिषिवाला है. इस जम्बूद्वीप की चारों तरफ जगवी (कोट)
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