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________________ सूत्र अर्थ अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी पडागं विज्जाहरचारणे जंभऐयदेवे उवयमाणे उप्पयमाणे पासइ २ ता, चाउघंटाओ आसरहाओ पचोरुहइ २ ता, समणं भगवं महावीरं पंचविणं अभिगमेणं अभिगच्छति तं जहा - सचित्ताणंदव्वाणं विउसरणयाए, अचित्ताणंदव्वाणं अविउसरणयाए. एगसाडिव उत्तरासंग करणेणं, चक्खुफासे अंजलिंपग्गहेणं, मणसो एगत करणेणं जेणामेव समणे भगवं तेणामेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पाहणं करेइ २ बंदइ णमंसइ २ त्ता पच्चासणे णाइदूरे सुस्सुसमाणे णमंसमाणे अंजलिउडे अभिमुहे विणणं पज्जुवासति ॥ ९० ॥ एणं समणे भगवं {चारण, कुंभक देवों को नीचे आते हुवे व ऊंचे जाते हुवे देखकर चार घंटावाला अश्व रथ से नीचे उतरे और श्रमण भगवंत महावीर स्वामी की पास पांच प्रकार के अभिगम से गये जिन के नाम-१ सचित्त द्रव्यका त्याग २ अचित्त द्रव्य वस्त्राभूषण का त्याग नहीं करना ३ एक वस्त्रका उत्तरासन अर्थात मुख की यत्ना करने के लिये वस्त्र रखना ४ भगवंत को देखते ही अंजली जोडना और ५ अन्य कार्य से निर्वृत्ति कर मन को एकाग्र करना. यों पांच अभिगम पूर्वक श्रमण भगवंत की पास आये और श्रमण भगवंत को तीनवार दाहीने कानसे बाये कानपर्यन्त आवर्त व प्रदक्षिणा देकर वंदना नमस्कार करके नीचे आसन से पास में शुश्रूषा करते हुवे नमस्कार करते हुवे अंजली जोडकर विनय पूर्वक सन्मुख पर्युपासना करने Jain Education International For Personal & Private Use Only *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी आलामसादजी & www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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