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सूत्र
अनुवादकाचारी सुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
सेसं तत्र ॥ १ ॥ ४ ॥
महा दारिया,
एवं मेहात्रि अमलकप्पा जयरीए मेहो गाहावई, मेहसिरी भारिया, सेसं तत्र ॥ एवं खलु जंबु समणं भगक्यामहावीरणं जाब संपक्षेणं धम्मक्राणं पढमवग्गरस अयमट्ठे पण्णत्ते ॥ पढमोत्रम्ग्रो सम्मन्तो ॥ १ ॥
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ऐसे ही विद्युत का जानना. इस में भी अमलकम्पा नगरी, विद्युत गाथापति, उस की विद्युत श्री स्त्री और विद्युत कन्या. शेष सब पूर्वोक्त जैसे जानना ॥ १ ॥ ४ ॥
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ऐसे ही मेघा का जानना. अमलकम्पा नगरी, मेघा गाथापति, मेघा श्री गाथापतिनी, और मेधा ? कन्या. शेष सब पूर्वोक्त जैमे जानना. अहो जम्बू ! प्रथम वर्ग का यह अर्थ कहा. यह प्रथम वर्ग संपूर्ण हुबा ॥ १ ॥
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• प्रकाशक राजाबहादुर छाला सुखदेवसहायजी, ब्वालाप्रसादजी ●
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