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सूत्र
अर्थ
44 अनुवाक बालब्रह्मचारी मुनि श्री मालक विज+
धम्म कहाणं पढमंझयणं सम्मतं ॥ १ ॥ १ ॥
जतिणं भंते! समणेणं भगवया महावीरणं जात्र संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गरस पदमज्झयणस्स अयमट्टे पण्णत्ते, बिइयरसणं भंते ! अज्झपणस्स समणेगं भगवया जाव संपत्ते के अट्ठे पण्णत्ते ? ॥ १ ॥ एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जयरे गुणसिलए चेइए, सामी समोसढे, परिसाणिग्गया जात्र पज्जुवासा ॥ २ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं राई देवी चमरचचाए रायहाजीए एवं जहा काली तहेत्र आगया, नहविह उवसेत्ता पडिगया ॥ ३ ॥ भंतेत्ति भगवं गोयमे पुत्रभव पुच्छा ? ॥ ४ ॥ एवं खलु गोयमा तेणं काले तेणं समएणं
{ का यह अर्थ कहा. यह धर्मकथा का पहिला अध्ययन संपूर्ण हुवा ॥ १ ॥ १॥
श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामीने घर्मकथा के प्रथम वर्ग का प्रथम अध्ययन कहा तो दूसरा अध्ययन कैसे कहा ? ॥ १ ॥ अहो जम्बू ! उस काल उस समय में राजगृह नगर में गुगशील उद्यान था. {स्वामी पधारे. परिषदा वंदना करने को निकली यावत् पर्युगसना करने लगे ॥ २ ॥ उस काल उस { समय में राजी देवी चपरचंचा राज्यवानी से काळी देवी जैसे आई और नाटक गौतम स्वामीने उन के पूर्व भत्र की पृच्छा की ॥ ४ ॥ उस काल उस समय में
बताकर पीछी गई ॥३॥ आमलकम्पा नाम मगरी
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_*काशक-शजाबहादुर लाला सुखदेव सहायजी या साप्रसादजी
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