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________________ ६३८ अमरकंकाए रायहाणीए पउमणाभे णामं राया होत्था महयाहिमवंत वणओ ॥ तस्सणं पउमगाभस्सरणो सत्तदेवीसयाई उरोहे होत्था ॥ तरसणं पउमणाभरस्सरण्णो पुत्ते सुगाभे नाम पुत्त जुवरायाहोत्था ॥ १३७ ॥ ततेणं से पउमणा भेरया अंतेउरंसि उरोह संपरिबुडे तिहासणवरगए विहरति ॥ १३८ ॥ ततेणं से कच्छुलनारए जेणव अमरकंका रायहाणी जेणव पउमणाभस्सभवणे तेणेव उवागच्छति २ त्ता पउमणाभस्स रण्णो भवणांत झतिवेगेणं समोवतिते ॥ १३९ ॥ ततेणं से पउमनाभे राया कच्छुल्लणारयं एजमाणं पासतिरत्ता आसणातो अन्भुट्ठति अग्घेणं जाव उमकाल उससमय में धान की खण्डद्वीप के पूर्षि में दक्षिणा भरत क्षेत्रमें अमरकका नामक राज्यधानी थी. IE उस अमरकंका नगरी पद्मनाभ नामक राजा रज्य करता था. वह महाहेमवंत पर्वतसमान यावन् वर्णन पहिले जैसे जानना. इस पमनाभ राजाको माप्तों रानियों का समुह था. उसको सुनाम नामक पुत्र युवराजा था ॥ १३॥ एकदा पदनाम राजा अपने अंत:पुर में अपनी रानियों की साथ सिंहासन पर बैठा था। ॥ १३॥ तच्छुल नारद अमरकंका राज्यधानी में पद्मनाभ राजा के भवनगपा और ममें घ्रि की प्रवेश कर दिया ॥ १३९ ॥ अब पचनाम राना कच्छुल नारद को आते हुवे देखकर अपने आसन से 4 अनुनादक-गालब्रह्मचारीमान श्रा अमोलक ऋषिजी + प्रकाशक-राजावह दराला सुख देवमहायजामानापमादी. , Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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