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________________ ऋषिजी श्री अमालक ऋषिजी अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि मे पडुरायां कच्छुल्लं णास्यं एजमाणं पासति २ ता पंचाहं पंडवेहि कुंतीएय - देवीर, साई . आसणाओ. अब्भट्रेति . २ . त्ता कच्छल्लनारयं सत्तटु पयाई पच्चुगच्छइ तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ ता वंदइ नामसति बंदित्ता नमंसित्ता महरिहेणं आसणेणं उवणिमंतेति ॥ १३२ ॥ ततेणं से कच्छुल्लए णारए उदगपरिफातियाए दब्भावरिए वत्थयाए भिसीयाए णिसीयइ २ त्ता पंडराय रज्जेय जाव. अते उरय कुसलादत पुच्छइ ॥ १३३ ॥ तएणं से पंडए राया कुंतीदेवी पंचय पडवा कच्छुलं णारयं आढति जाव पज्जुवासंति ॥ १३४ ॥ तएण सा दावई दी कच्छुल्लणारयं असंजयं अविरयं अपडिहयपच्चक्खाय पावकम्मे कच्छल्ल नारद को आता हुआ देखकर पांव अंडा व कुंनी को साथ पाण्डुराना अपने आमन स उपस्थित हए. उन की मन्मुख मान आठ पांच गये. तीन वक्त आवर्त प्रदक्षिणा से बंदग नमस्कार करके महा। मूल्यवाला आमन की निमंत्रणा की॥ १३२॥ कच्छल नारदने पानी से जर्मन पर छिटकाव किया, उस पर अपना दर्भासन विछायां, फीर अपना भीसिया नामक आसन बिछाकर पाण्डुराजा को .उन के ज्य यावत् अंतःपुर यो सब का कुशल क्षेम पूछा ।। १३३ ॥ पाण्टु राजा कुंतीदेवी व पांच पांडवों सपने कच्छुक नारद का आदर-सत्कार किया यावत् उस की पर्युपामना की ॥ १३४ ॥ कच्छुल नारद को अविरति, असंथात व प्रत्याख्यान रहित जानकर द्रौपदीने उन का बादर सत्कार किया नहीं, अपने काशक-गंजाबहादर लाला मुखव सहायजी ज्वालं प्रसादजी " Jain Education International For Personal & Private Use Only www.anebryong
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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