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________________ सूत्र अर्थ अनुवादक - बालब्रह्मवारी मुनी श्री अमोलक ऋषिजी करयल तं चेत्र जाव समोसरेह ॥ ततेण से कण्ड्या मुदेवे तस्स दुतरस अतिते एयम सोचा जिसम्म हट्ट जाव हियए तं दूयंसकारति समाणोति संक्कारता समात्ता डिस्सिनेइ ॥ ९५ ॥ ततेणं से कण्हे वामुदेवे कोटुंबियपुरिसे सहावेति २ ता एवं वयासी गच्छहणं तुमं देवाणुप्पिया ! सभाए सुहुम्माए समुदाणिघंभेरिं तालहिं ॥ ततेां से कोटुंबियपुरिसे करयल जाव कण्हस्स वासुदेवस्स एयमट्ठे पडिसुणेति २ ता जैव सभामा सामुदाणियाभेरी तेणेव उवागच्छइ २ चा समुदाणियं भेरिं महया २ सदेहिं तालेइ ॥ ततेनं ताएसमुदाणिया भेरीए तालंयाए समाणीए समुहविजय पायोक्खाणं दसदसारा जाव महासेण पामोक्खाओ छप्पण्णं बलवग व पृष्टत की भगिनी द्रोपदी का स्वयंवर होने वाला है इस में आप सब परिवार से शीघ्रमेव पधारो. कृष्ण वासुदेव यह बात सुनकर दृष्ट. तुष्ट हुए यावत् उनका हृदय विनायमान हुवा. उस दूतको सत्कार सम्मान देकर विसर्जित किया. ॥ ९५ ॥ कृष्ण वासुदेवने उस समय कौटुम्बिक पुरुषों को बोलाये और कहा कि अहो देवानुप्रिय ! सुधर्मा सभायें जाकर सामुदानिक मेरी बजाओ. कौटुम्बिक पुरुषोंने हाथ जोडकर कृष्ण वासुदेव की इस आज्ञा का स्वीकार किया. और सुध सभा में जाकर सामुदानिक मेरी बडे शब्द सेि बजाई. अब यह सामुदानिक मेरी बजाइ तब समुद्र विजय प्रमुख दश दशार यावत् महासेन प्रमुख For Personal & Private Use Only Jain Education International नकाशक- राजा बहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ६१२ www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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