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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिमी
43 ठिलिएम उवबजाति,तओगंतरं उध्यहिता उरएमु एवं जहा गोसालो तहा या जाय
मणप्पभानोत्तभ340,ततो उनहत्ता सांगणसु उवण्णा तओं उठवहिता जाइ इमाई खहयर विहागाई जाव अदुत्तरंचणं खर बायर पुढवीकाइयत्ताएमु अणेग सयसहस्स खुनो साणतउ अतरं उन्नटि ना इहेत जंबुद्दीवे दीवे भारहवासे चंपाए गयरीए. सागरदत्तस्स सत्य वाहस्म भद्दाए भारियार कत्थिान दारियत्ताए पयाया ॥२७॥ ततेणं भद्दा सत्यवाही पवण्हं मामाणं जव दारियं पयाया, मकुमाल कोमलियगयतालुय समाणं
॥ २८ ॥ तीमे दारियाए णिमत्ताए धारसाहियाए अम्मापियरो इमं एयारूवं गाणं यावत् रत्नप्रभा पर्यंत करना. वहां से नीकलार अंसी में उत्पन्न हुवा, वहां से नीकलकर खेचर पक्षी की जाति में उत्पन्न हुआ. वहां मेनकलकर कठिन सदर पृथकीकाय में उत्पन्न हुवा. उसमें अनेक लक्षार भवभ्रमण किया.
स्थ र काा में यों अंक भनभ्रण करने में बहन काल ग हैपीछ इस जम्बूदीपक भरत वर्षको वंश गरी माग दर सार्थवाह की भद्रा भर्या की कुक्षि पुत्र पने उत्पन्न हुआ ॥ २७ ॥ भद्र भान पाम में पुत्रः का जन्म दिया. वह सुकुमार कोमल व
के तालुमा समान रक्तपी॥ २८ ॥ इस पालिका को बारह दिन हो पीछे उनके मातापिताने
काराबाबहादुर लामासुस्वरेबमहाय
ज्वालाममादा
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