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________________ सूत्र षष्टङ्ग ज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रुत488+ उक्को से बावीसेणं : सागरोवमटिसीएस नरएस नेरइयत्ताए उबवण्णा || साणं ततो अतर उहित्ता मच्छेमु उवबन्ना, तत्थणं सत्यवजा दाहकतीए कालमास काल किच्चा अहे सत्तमाए पुढबीए उक्कोण तेत्तीस सागरोत्रमठिम उवत्रण्णा, साणं ततःअगर उचट्टित्ता दोच्चंपि मच्छंसु उत्रवज्जति, तत्थवियणं सत्थवज्जा दाहवकं ती दोपि अहे सत्तमा पुढत्रीए उक्कांमण तेतीस सागरांवम ठेतीसु नेग्इएम उववज्जति, साणं तओहितो जाय उन्महित्ता तचंपि मच्छेमु उवत्रष्णा तत्यत्रियण सत्यवज्झे जात्र कालमासे कालं किच्चा दोपि छट्टीए पुढवीए उक्कांसेणं सागरोवम छठी नारकी में बाइस सामरोपम की स्थिति से नारकीपने उत्पन्न हुई. वहां से अंतर रहित चवकर मत्स्य में उत्पन्न हुई. वहां ते शस्त्र से हणाकर दाह व्युत्क्रांत से उसका अव काल के अवसर में काल कर सातवी पृथ्वा में उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम की स्थिति उत्पन्न हुआ. वहां से अंतर रहित चक्कर दू गे चार पुनः मत्स्य में उत्पन्न हुवा, वहां पर शस्त्र से हणाया दाह से व्युत्क्रांत होने से दूसरी बार पुनः माती -रर्क में उत्कृष्ट तेत्तीस सागरोपम की स्थिति में उत्पन्न हुवा. वहां से अंतर रहित नीकलकर तीमरीवार मत्स्व में उत्पन हुआ, वहां से कालं करके दूसरी बार छठी नरक में उत्कृष्ट बाइस सागरो की स्थिति से उन बाबां से रर्ष में हुआ को मय कथन गोशाला जैसे जानना. } लकर Jain Education International For Personal & Private Use Only 448* द्रौपदी का सोलहवा- अध्ययन 184 ५७७ (www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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