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4 अनुवादक-माल प्रमचाती मनि श्रा अपोलक पिजी+
विपुलं पणियं इच्छपइ अहिच्छत्तं यरिं वाणिज्जाए गमिन्नए, तंजोणं इच्छइ देवाणुप्पिया! चरए वा चीरिए चम्मखंडिएका भिक्खंडवा पंडरगेवा गायमेवा गोभातएवा गिहधम्मेवा गिहधम्मचिंतिएवा अविरुद्ध विरुद्ध बुट्ठ मावगरत्तपड निग्गंथ पाभती पासंडत्वा गिहत्थेवा धण्गेणं सहिं अहिछत्तं गरि गच्छइ तस्सणं धण्णे अच्छत्तगस्त छत्तगं दलयइ, अणुवाहणस्म वाहणाओ दल यति,; अकुंडियस्त कुंडियं दलयति अपत्थायणस्स पत्थयणदलयति, अपक्खेवगरस पक्खेवंदलयति,
अतिराविय से पडियरसवा भग्गलुग्गरस साहिज दलयति,सुहंसुहेणं अहिछत्तं संपावेति, गौतम-रघुप्रक्षपाला रखे व शरीर में चित्रित बखों पहिने, गोप्रतिक-गाय से आजीविका करे, गृहधर्मी, गृह धर्म में चितवन करनेवाले, अविरुद्ध करनेवालं. धर्म चिंतन करभेवाल, वृद्ध, श्रवक-ब्राह्मण, क्तपट al पहिननेवाल परिव्रजक बगैरह पावंडो या गृ'स्थ धमा सार्यग्रहकी नाथ अहिछत्र नगरमें जाना चाहत हो और उनमें से जिम किमी की पास छत्र नहैं. होवे तो उनको छत्रदेत हैं,पमरखी नहीं होवे तो पगरखा देते हैं.पात्र नहीं है.वे उन को पात्र दस हैं, पथ्यद-भातः-नहीं होचे उम को भाता देते है, बीच में खर्च नहीं होगा। उन को खर्च देंग, मार्ग में भी जो कोई गाडी घेड प्रमुख से गीर जागा अथवा कुच्छ अंगोपांग में हीनता होगा तो उन की सहाय देंगे, और सुख पूर्वक अहिछत्र ग्रम में पहुंचा देंगे. इस बरह दो तीनवार
.गजाहदरल'का सवयपहाजधालाबमादना.
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