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नुवादक-बाबमारी मुनि श्रीगोलपिनीM
संवाएतिः बहि आपत्रणाहिय. पण्णवणाहिय आघवित्तए पण्णवित्तए वा ताहे अकामयाए चेव एयमटुं अणुजाणित्ता ॥ ७॥ तएणं ते मागंदिय दारया अम्मापि. जहिं अब्भणुण्णाय समाणा, गणिमंच, धरिमंच, मेजच, परिच्छेच जहा भरहणगस्स जाव लवणसमुच बहू हैं जोयणसयाहिं ओगाढा ॥ ८ ॥ तएणं तेसिं मागंदिय दारवाणं अणेगाइ जोयणलयाई ओगाढाणं समाणाणं उपाइय सयाई अगाई
पाउम्भूयाइ तंजहा-अकाले गजियं, अकाले विजयं जाव थणियसई कालिएकाए ___ जाव सस्थ समुत्थिए ॥ ९ ॥ तलेणं सा नात्रा तेणं कालिय वातेणं आहुणि जमाणी २ पादिव पुत्रों को उनके मात पिता बहुत कहासुनी मे सपना सके न सब अनिच्छा से इस को मान्य की. 10 भात पिता की अनुज्ञा होने से पादिय पुत्रोंने गिनती करपके कैमे धार सक रेमे, पाप सके से बगैर सब भनक श्रापक जैसे करके लवण समुद्र में बहुत योजन दुत सो योजन पर्यत प्रवासनकल गये. ॥८॥इम कहो योन स मुद्र नये पी अनेक उपदव ने जागना, कासविद्युत् पावत् स्वनित पद कालिका पावन मास उत्पमा हुवा ॥९॥ बना स प्रतिकूल वायु स कम्मन बगी, कम्पती हुई स्थान से रन बगी, बनिधित दिशा
पकाषक-रामानहादरमाला सम्बदवमहावनीमालासादा.
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