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madhnama
मालित्ते भंते! लोए जाव पवइया जाव चे दसपुस्विणो, अणते केवली जाब सिद्धा ॥ ॥ सतेणं ममी अरहा सहस्सं वणातो उज्वाणाओ जिक्खमति णिक्खमित्ता बहिया जणषय विहारं विहरुति ॥ १६७ ॥ मल्ललणं अरहओ किंतुयामाक्खा अट्ठावीसं गण, अट्ठावीस गणहरा होत्या ॥ १६८ ॥ मदिरमणं अरहओ चत्तालीस समणसाहस्सीओ उचोसियाओ, बंधुमनी पामेोक्खाओ पमपण्णं अजियासाहसीओ उकोसिया अजिया होत्या मल्लिस्सणं अरहओ सावयाणं एगासयसाहस्सीओ चुलसीइंच सहस्सा उक्कोसिया सावयाणं संपया होत्था ॥ मजिस्सणं अरहओ
साबियाणं तिणि सयसाहस्सीओ पट्टिच सहस्सा संपया हे स्था ॥ मल्लिस्मणं बालित है यावत् प्ररजिन हए. चवदह पूर्व के ज्ञान के धारक हुए. अनंत कवत्री या दिए ॥ १६ ॥ मल्ली अग्हिन सहन वन में से नीकल कर बाहिर विहार करने लगे. ॥ १६७ ॥ मल अरिहत ] को किंत्रक प्रमुख अठाइस गण व अट्ठाइस मणघर हुवे.॥१६८ ॥ मल्ल अरिहंत को गलीम हजार सधु,
पति प्रमुख पञ्चावन हजार भाजिका थी, एक लाख चौरामी हजार श्रावक की संपदा, तीन लाना सिट बार भाविका की संपदा थी, सो बउदहपूर्व के प.ठी , दो हजार अधिकानी, बस सो
था का प्रयब महकन 4481
WHश्रीमल्लीनाथजी का आठवा अवषय
शाता
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