________________
11. उवागछह १, पत्तं ठति रत्ता सगदि सागडं सज्जेति २त्ता तं गणिमच सगाई
संकामात २ तासगर्ड सागड जोते तर जणव महिला रायहाणी तेणव उवागच्छइ २ त्ता महिलाए रायहाणीए बहिया अग्गुजाणसि म्गडा सागडं मोएति २ महत्थं महग्ध विउलंरायारिहिं पाहुडे कंडल जुयलंगिण्डइरत्ता महिलाएरायहाणिए अणुपविसतिर चा जेणेव कुंभएराया तेणेव उनामच्छइ २ त्ता करयल जाव तिकटुतं महत्यं रायरिह पाहुडं
दिन्नं कुंडलजुयलच पुरओटुवेइ ॥ तएणं से कुंमराया तेर्सि संजुतगाणं जाव है पडिच्छह २ मलिंविदेह रायवरकन्नं सदावेद २ ता तं दिवं कुंडलजुयलं
मल्लीए विदेहवर रायकन्नगाए पिणहति २ चा पढिविसजेति ॥ १८॥ ततेनं से उक चारों प्रकार के किराने को उम में डाले, और गारे जोतकर मिथिला नगरी में भाये और वहां
ग्र नामक उपान में गाडे छोटे और बड़े मूरपसाला गना के योग्य बड़ा निगराना व कुंदरकी जोर लेकर गाम में प्रोष किया और कुंम रामा की पाम पाकर दोनों हाय जोहार स्तुति की पावत् वा महामूल्यवाला रामाप नजराना व दोनों कुंटल गना की मन्मुम्ब रख दिये. कुंभ राजाने उन व्यापारियों का नजराना प्राण कर मडी नाम की विदेश राजवर कन्या को बोलाइ और उन को दोनों
॥ १८ ॥भरामान बरामा प्रमुख सा व्यापारियों को चारों-बहार
mammindiancom 4 अमुसहक-पालबचारीमान श्री अलकाममा -
• प्रकाशक-राजाश दुर लाला मुपदपमहायजी
मारली.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org