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________________ - - - अमोलक पिज यंत सम्पत्रिच्छ्या गोहं उंदर नउल सरडे विरइय विचित्ते, वेयस्थ मालियागं भौगः । कुरकण्ह सप्प धम धमंत लबत कण्णपुर मजार सियाल लइय खंधदितस्सर घुघयंत धु कयस भल सिर घंट रवण भीम भयंकर कायरजणहियफोडणं दित्तं अद्वे हासं विणिमुतिं वसा रुहिर पय मंसमल मलिण पांचडतणुं उत्तासणय, विसाल १० ... वरुधं पंच्छता भिन्न नख मुहनयण कण्णवर बग्घ चित्त कित्तीणियंसणं सरस रुहिरग .. रूप चम्मरूप वितत उसविध यहु जुयल, ताहिय खर फरुस असिद्धि दिन अणि? पासक-राजाबहादुर लालामुखतवमहायजी ज्वालाप्रसादनी अनुबारक-RAR माला पर घर डोलायमान फुलकार शब्द करते हुए मर्प बिच्छु गोड, उंदर, नकुल, काकाडे, माढे १ को विचित्र प्रकार का उत्तर संग रूप मालामाला, कृष्ण रूपी आमरणों कान में धरन करने या ना : शृगल को दोनों स्कंध पर बैठानेवाला, दी।प्तान बहा कठिन घुघु शब्द करनेवाला लको बैठाय हुए.शिरवाला, कायाजनक हृदयफोडनेवाला घटा के जमे भीम भयंकर बन्द करनेवाला, अरहट्टी है हास्य करनेवाला, चरबी, रुधिर, मांस, मल वगैरह वगव वस्तुओं से शरी। बिगाहनेवाला, भयानक विशाल वक्षःस्थल शला, अखंडन दखारक वै नख, मुख, नयन व दो कान वाली बाघकी चपड़ी को वन वाला, भरस रूधिर वाला, गम धर्मसे ढक दुवे दानें हाथ वाला, खा, परुप, रूक्ष, दीन, भनिष्ट, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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