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+2+ षष्टाङ्ग ज्ञातामकथा का प्रथम श्रुनस्कंध
छटुं करेंति २त्ता चउत्थं करेंति, २. त्ता अट्ठमं करति १ त्ता छ8 करेति २त्ता दसमं करेंति २ ता दुवालसमं करेति २ त्ता दसमं करेइ. २त्ता चोदसमं करेंति २त्ता दुवालसमं करेंइ २त्ता सोलसमं करेंति २त्ता चोदृसमं करेंति २त्ता अट्ठारसमं करेंति २त्ता सोल समं करोति २त्ता वीसंतिमं करेंति २त्ता अट्ठारसमं करेंतिरत्ता वीसतिमं करेतिरत्ता
सोलसमं करेंति २ चा अट्ठारसमं करेंति २ ना चोदसमं करेंति २त्ता सोलसमं करेंति . दुवालसमं करेंति २ चोदसमं करेंति २त्ता दसमं करेति २त्ता दुवालसमं करेति २त्ता प्रकार के आहार भोगवकर पारणा किया, फीर बेला किया, बेला का सब प्रकार के आहार से पारना किया फीर उपवास किया, उपवास का पारना करके तेला किया, इस का पारणा करके बेला किया, इस को पारमा करके चोला किया, चोला का पारना करके तेला किया, तेला का पारना करके पचोला किया, पचोला का गरना करके चोला किया, चोला का पारना करके छ उपवास किया, छ उपवास का पारना करके पांच उपवास किये, पांच उपास. का पारना करके मात उपचास किये, सात उपवास
पारना करके छ उपास किये, छ उपवास का पारना करके आठ उपवास किये, अठ उबाम का रुपाना करके सात उपवास किये, सान उपनाम का पारना करके ना उपास किये, नव उपवास का
428 श्रीमल्लीनाथजी का आठवा अध्ययन 4g
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