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________________ सूत्र अर्थ अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋ अमेकरिता दमं करेंति२त्ता छ करेति २ अगं करेंति, शत्ता छटुं करेंति २वा चउत्थं करेनि २ सस्था कामगुणियं प्रदेशी ॥ एवं खल एना खडाग सिंह नि कीलियस तवोकस्य पढमा परिडी, छडेमासदिय सतहिय अहोरताय, अहाता जाव आराहिया भवति ॥ तयाण तरचणंए दंए परिवाडीए उत्थं करें। २ ता नवरं विगतित्रज्ञ पारेति ॥ एवं तच्चापि परिवाडीए नवरं पारणाए अलेवाड पारेति ॥ एवं चउत्थवि परिवाडी णवर पारणए आयंबिलेणं . प करके आठ उपनाम किये, फीर नव उपवास, सात उपशन, आठ उपवास छ उपासन उपरास, पांच उपवास छ उपवास, चार उपवास पनि उपवास तीन उपवास, चार उपास दो उपवास. तीन उपवराम, एक उपास दो उपचार व एक उपवास. इन फक अहार भोग इन घुट क्रीडा तप की एक परिवाद में इस में पारना के तीन दिन जाते हैं. इन का सूत्र विधि से अगस्त की यवत् वपूर्ण हुई. तश्चात् दूसरी परिषटी उक्त प्रकार ही की. इस मे परने में गिय का त्याग किया. तीसरी परिपाटी एस ही की परंतु पारने में अलेपकारी लेप लगाया हुआ नहीं बैा आहार किया, और चौथी परिपाटी के Jain Education International For Personal & Private Use Only के पार के दिनों बार कर बसान लगते हैं. ● प्रकाशक- राजावर दर लाला मुखमा ३१.६ www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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