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________________ wwwwwwwwwwwwwww पटाजज्ञाताधर्मकथा का प्रथम श्रतस्कन्ध +91 जेणेव थावच्चा पुने जाव मुंडे भवित्ता जाव पवइए ॥ सामाइय माइयाइ चोद्दस पुवाइ अहिज्जइ॥५३॥ततेणं थावच्चापुत्वे सुयस्स अणगारसहस्स सीसत्साए विहरइ॥५४॥ ततेणं थावच्चापुत्ते सोगंधिया नयरीए नीलासोयाओ उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ ता बहिया जणवय विहारं विहरइ ॥ ततेां से थावचा पुत्तं अणगार सहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे जेणेव पुंडरीए पन्वते तेणेव उवागच्छइ पुंडरीयं पव्वयं सणियर दुरुहति २त्ता मेघघणसन्नियासं देवसन्निवायं पुढविजाव पाउवगम र समणुषण्णे ॥ ततेणं से थावश्चा पुत्ते णाम अणगारे बहणि वासाणि सामण्ण परियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए पास मुंडित हुवा. सामायिकादि चौदह पूर्व का अध्ययन किया ॥ ५३॥ फीर थावर्चा पुष अनगार शुरु अनगार के माथ दीक्षा लेनेवाले एक हजार साधुओं को उन के शिष्य बनाकर विचरने लगे ॥५४॥ 'नत्यश्चत् थावर्चा पुत्र सौगंधिक नगरी में से निकलकर बाहिर जनपद में विहार मे विचरने लगे ॥ ५६ तत्पश्चात् वह थावर्चा पुत्र अनगार एक हमार साधुओं सहित पुंडरीक पर्वत पर शनैः चढकर घनमेष सपान कृष्ण वर्णवाली पृथ्वी शिलापट्ट पर पादोपगमन संथारा अंगीकार किया. वहाँ पर थार्चा पुत्रने बहुन वर्ष मंयम पालकर एक मास की संडेखना से साठ भक्त अनशन का छेदन कर यावत् केवल हामी + सेलन राजर्षि का पांचवा अध्ययन 41 ११ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600253
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages802
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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