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Aamannanow
का अनुवादक-बालवाचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
तत्यणं जे जाइया ते दुविहा पणत्ता तंजहा एसणिजाय, अणेसणिज्जाय, तत्थणं जते अणेसणिजाय ते अब्भक्खेया ॥ तत्थेणं जेते एसणिज्जा तेदुधिहा पण्णत्ता, तंजहा लहाय अलहाय, तत्थणं जेते अलहाज ते अक्खया ॥ तत्थणं जते लहा तेनिग्गंथाणं भक्खया।एएणं अटेणं सुया!एवं वुच्चइ सरिसवया भक्खेयाविअभक्खेयावि ॥४९॥ एवं कुलत्थाणि भाणियव्वा, णावर इमं णाणत्ते इत्थिकुलत्थाय धण्ण कुलत्थाय इत्थि कुलत्थाय तिविहः पण्णत्ता, तंजहा कुलबहुयाय, कुलमाउयाय, कुलधूया ॥
धण्णकुलत्था तहेव ॥ एवं मासावि, गवरं इमं नाणत्तं मासा तिविहा पण्णत्ता तंजहा कहे हैं याचना कर प्राप्त किया हुआ व विना याचा प्रप्त हुवा. इम में जो विनायाचाहुना होवे यह साधुओं को अभक्ष्य है और जो याच कर प्राप्त किया है उम के दो भेद पणि व अनेषणिक. इम ये से अंपनिक साधुओं को अभक्ष्य है और एवणिक के दो भेद प्रप्त और प्राप्त. इम में जो अप्राप्त है वह माधु को अभक्ष्य है और प्राप्त वस्तु साध को भक्ष्य है, इस लिग अहो शुक ! सरिमय भक्ष्य भी है।
और अभक्ष्य भी है. ॥ ४२ ॥ जैसे सरिसब का कड़ा चैस ही कुत्थी का कहना. परंतु इस में कुलत्थी 70 के दो भेद स्त्री कुलत्थ व धन्य कुलत्य, इस नो कुलत्य के तीन भेद ? कुलवंत की बहु कुलम ता व कुलवंत पुत्री | Vऔर धन्य कुलत्थ का सरिसव जैसे कहना. ऐसे ई मास के प्रश्नोत्तर. इस में मास के तीन भेद ! काली
• पकाशक राजाबहादूर लाला मुखवसहायजी ज्वाळापसादजी
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