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रतिवीरासणेणं अवाउडेणं; चउत्थमासं दसमं दसमेणं अणिखित्तेणं तवो कमेणं दियागणुक्कहुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे रतिवीरासणेणं, अवाउडेणं; पंचमं मासं दुवालसमेणं अणिखित्तेणं तवोकम्मेणं दियाट्ठाणणुक्कड्डए सूराभिमुहे आयावण भूमीए आयावेमाणे रतिवीरासणण अवाउडणं एवं खलु एएणं अभिलावणं- छटे चउद्दसमेणं २, सत्तमेमासे सोलसमेणं २, अट्ठमेमासे अट्ठारस मेणं, णवमे मासे वीसतिमं २, दसमेमाले वावीसंतिम २, एकारसमे मासे चउवी
सतिमं २; बारसमे मासे छव्वीसतिमं.२, तेरसमेमासे अट्ठाबीसतिम २, चउद्दसमे भक्त तेले २ पारना से निरंतर तप करने लगे चौंथे पास में चौले २ पारना, पांच वे मास में पचौले २ परना, छटे मास में छछ उपवास से पारना, सात के पास में सान२ उपवास से पारना,आठ के मात्र
आठ २ उपवास से पारना, नव वे मास में नव २ उपवास से पारना, दश वे मात दश २ उपवास पारना, अग्यरदो मास में अग्यारह २ "उपवास से पारना, बारह मास में बारह २ उपवास से पारना.
तेरह मास में रह २ उपवास से पारना, चउदहवे मास मे चउदह २ उपवास से पारना, पम्बरवे गारमें 12 पन्नरइ २ उपवास से पारना, और सोलह वे मास में सोलह २ उपवास से पारना करने लगे, सब मास में
* अनुवादक-पालब्रह्मचारी मुनि श्री अमर पिजी
काशक-राजावहादुर लाला सुखदेवमहायजी चालाप्रसदाजी.
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