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सूत्र
अथ
ॐ अनुवादक चालब्रह्मचारी मुनि श्री अम
ae at मेहस्स अणगारस्त समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए एयम सांचा णिसम्म सुभेहिं परिणामेहिं पसत्थेहिं अज्झबसाणेहिं लेसाहिं विसुज्झमाणिहिं सवाबरगिजाणं कम्नाणं खओवसणं इहापूहमग्गण गवसणं करेमाणस्ल सणिपुत्रे जइसरणे उप्पण्णे, एयम सम्मं अभिसमेइ ॥ १७० ॥ तएण से मेहे अणगारे समणं भगवया महावीरेणं संभारिय पुच्बजाइ सरणे दुगुणाणियं संवर्ग, आनंदय पुण्मु, हरिस वसे धाराहयक यंवगपिवममूसिय रोमकुवे, सम ं भगवं महावीरं वंद णमंसइ २ ता एवं वयासी अजप्पनिएणं भंते ! मम दो अदिखणि
व लेश्या से शुद्ध ध्यान करते, तदा रणीय कर्म के क्षयोपशम मे. मैंने पतिले ऐसा देखा है वैसा विचार ) करते हुने संज्ञा पूर्ण जाति स्मरण ज्ञान जो कहा उसे कार में जाना. ॥ २७० ॥ भगवन कण कराया महावीर स्वामी के कारन से का दुवैराग्य
गय
पूर्वका
कार
और
रक
वृक्ष समन रोमांचित बरमे अगर भरण गरमी को वंदना नमस्कार कर ऐ
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और
कुमार को
पूर
उत्पन्न होने
पूर्ण
१ जिस में पूर्व के सब संज्ञी के किये हुवे भव देखे. जाती स्मरण ज्ञान से उत्कृष्ट ९०० भव जो संझी के लगोलग किये होवे सो देख सकते हैं.
• प्रकाशक - राजा बहादुर लाला सुखदेवसहायणी ज्यालाप्रसादर्ज •
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