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________________ आ वसा भोगपरिचाया पव्वज्जाओ परिआगा सुअपरिग्गहा तवोवहाणाईं सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडिवज्जणया पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरिआओ अ आघविज्जंति, उवासगदसाणं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्सीओ संखेजाओ संगहणीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगया सत्तमे अंगे एगे अक्खंधे दस अज्झयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्दे सणकाला संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं सङ्केजा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जत्रा परित्ता तसा अint थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जंत्ति पन्नविज्जंति परुविज्जंति दंसिजंति निदंसिजंति उवदंसिज्जंति, से एवं आया एवं नाया एवं विन्नाया एवं चरणकरणपण आघविज, सेतं उवासगदसाओ ७ ॥ (सू. ५२ ) 'से किं तमित्यादि, अथ कस्ता उपासकदशाः ?, उपासकाः - श्रावकाः तद्द्वताणुव्रतगुणत्रतादिक्रियाकलापप्रतिबद्धा दशा-अध्ययनानि उपासकदशाः, तथा चाह सूरिः - 'उवासगदसासु ण' मित्यादि पाठसिद्धं यावन्निगमनं, नवरं Jain Educational For Personal & Private Use Only व्याख्याधिकारः ज्ञाता धिकारः सू. ५१-५२ ५ १० १२ www.jainelibrary.org
SR No.600244
Book TitleNandisutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1924
Total Pages514
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size10 MB
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