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________________ प्रतिबोधक दृष्टान्तो मल्लक दृष्टान्तव सू. ३६ SARALA अव्वत्तं सदं सुणिज्जा तेणं सहोत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस सद्दाइ, तओ ईह पविसइ, तओ जाणइ-अमुगे एस सद्दे, तओ णं अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पविसइ, तओ णं धारेइ संखेज वा कालं असंखेनं वा कालं । से जहानामए केई पुरिसे अव्वत्तं रूवं पासिज्जा, तेणं रूवत्ति उग्गहिए नो चेव णं जाणइ के वेस रूवत्ति, तओ ईहं पविसइ, तओ जाणइ-अमुगे एस रूवेत्ति, तओ अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पविसइ, तओ णं धारेइ संखेनं वा कालं असंखिजं वा कालं। से जहानामए केई पुरिसे अव्वत्तं गंधं अग्घाइजा, तेणं गंधत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस गंधेत्ति, तओ ईहं पविसइ, तओ जाणइ अमुगे एस गंधे, तओ अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पविसइ, तओणं धारेइ संखेज वा कालं असंखेजं वा कालं । से जहानामए केई पुरिसे अव्वत्तं रसं आसाइजा,तेणं रसोति उग्गहिए,नो चेव णंजाणइ के वेस रसेत्ति,तओईहं पविसइ, तओ जाणइ-अमुगे एस रसे,तओ अवायं पविसइ,तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पवि ASRAKASH dan hematoma For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600244
Book TitleNandisutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1924
Total Pages514
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size10 MB
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