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कामरएकतिए केवल
रियासमिए
सुभगे इ वा सुगंधे इ वा पोंडरीए इ वा महापोंडरीए इ वा सतपत्ते इ वा सहस्सपत्ते इ वा सतसहस्सपत्ते इ वा पंके जाए जले संवुड्ढे णोवलिप्पइ पंकरएणं णोवलिपइ जलरएणं, एवमेव ढपइण्णेवि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संवुढे णोवलिप्पिहिति कामरएणं णोवलिप्पिहिति भोगरएणं णोवलिप्पिहिति मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं, से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुज्झिहिति केवलबोहिं बुज्झित्ता अगाराओ अणगारियं पवइहिति । से णं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी। तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पजिहिति । तए णं से दढपइण्णे केवली बहूई वासाई केवलिपरियागं पाउणिहिति, | केवलिपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहि भत्ताइं अणसणाए छेएत्ता जस्सहाए कीरइ णग्गभावे मुंडभावे अण्हाणए अदंतवणए केसलोए बंभचेरवासे अच्छत्तकं अणोवाहणक भूमिसेजा फलहसेजा कट्ठसेज्जा परघरपवेसो लद्धावलद्धं परेहिं हीलणाओ खिंसणाओ जिंदणाओ गरहणाओ तालणाओ तजणाओ परिभवणाओ पव्वहणाओ उच्चावया गामकंटका बावीसं परीसहोवसग्गा
अहियासिजति तमट्ठमाराहित्ता चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहिं सिज्झिहिति बुझिहिति मुचिहिति परिणि| ब्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहित्ति ॥१४॥ (सू०४०)॥
इहैव ज्ञातान्तरमाह-'बहुजणेण'मित्यादि व्यक्तं, नवरं 'पगइभद्दयाए'इत्यत्र यावत्करणादिदं दृश्य-'पगइउवसंतयाए
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