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सगासज्ज
औपपातिकम्
स०३०
मिवेति दृश्यते, 'मणपवणजइणवेगं' मनःपवनजयी वेगो यस्य तत्तथा तत्, शीघ्रवेगमिति क्वचित् , 'भीमं संगामियायोग्गं' साङ्घामिक आयोगः-परिकरो यस्य तत्तथा तत्, पाठान्तरे 'संगामियाओज' साङ्ग्रामिकातोद्यं-सामामिकवाद्यमित्यर्थः, | पाठान्तरे सानामिकम् अयोध्यं-येन सहापरो हस्ती न योद्धुं शक्नोति तदयोध्यं ।।
तए णं से जाणसालिए बलवाउअस्स एअमह आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणित्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता जाणाई पच्चुवेक्खेइ २त्ता जाणाई संपमजेइ २त्ताजाणाई संवद्देइ जाणाई संवद्देत्ता जाणाई णीणेइ जाणाई णीणेत्ता जाणाणं दूसे पवीणेइ २त्ता जाणाई समलंकरेइ |२त्ता जाणाई वरभंडकमंडियाइं करेति २त्ता जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता वाहणाई पच्चुवेक्खेइ २त्ता वाहणाई संपमजइ २त्ता वाहणाई णीणेइ २त्तावाहणाई अप्फालेइ २त्ता दूसे पवीणेइ २त्ता वाहणाई समलंकरेइ २त्ता वाहणाई वरभंडकमंडियाई करेइ २त्ता वाहणाई जाणाई जोएइ २त्ता पओदलहिं पओअधरे अ समं आडहइ आडहित्ता वट्टमग्गं गाहेइ २त्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २त्ता | बलवाउअस्स एअमाणत्तिअं पचप्पिणइ । तए णं से बलवाउए णयरगुत्तिए आमंतेइ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चंपं णयरिं सम्भितरबाहिरियं आसित्त जाव० कारवेत्ता एअमाणत्ति पचप्पिणाहि । तए णं से णयरगुत्तीए बलवाउअस्स एअमडं आणाए विणएणं पडिसुणेइ २त्ता चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं आसित्तजाव० कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २त्ता एअमाणत्ति पञ्चप्पिणइ । तए णं
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