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प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती.
२६कर्मवेदबन्धपदं
॥४९५॥
छविह० एगविह० ९, एवं एते नव भंगा, अवसेसाणं एमिंदियमणूसवज्जाणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं; एगिदियाण सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबं०, मणूसाणं पुच्छा, गो० ! सवेवि ताव होज सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य४, एवं छबिहबंधएणवि समं दो भंगा, एगविहबंधएणवि समं दो भंगा, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छबिहबंधए य चउभंगो १ अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधए य एगविहबंधगे य चउभंगो २, अहवा सत्तविहबंधगा य छबिहबंधए य एगविहबंधए य चउभंगो ३ अहवा सत्तविहबंधगा य अहविहबंधए य छबिहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अह, एवं एते सत्तावीसं भंगा, एवं जहा णाणावरणिज्जं तहा दंसणावरणिज्जंपि अंतराइयंपि, जीवे णं भंते ! वेदणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गो०! सचविहबंधते वा अहविहबंधते वा छबिहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा, एवं मणूसेवि, अवसेसा णारयादीया सत्तविहवं. अट्टविहबं० एवं जाव वेमाणिता । जीवा गं भंते ! वेदणिजं कम्मं वेदेमाणा कति० बंधति ?, गो० ! सब्वेवि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य अढवि० एगवि० छविहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अद्वविहबंध० एगविहबंध० छविहबंधगा य, अबंधगेणवि समं दो भंगा भाणितवा, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंध० एगविहबंध० छबिहबंधगे य अबंधगे य चउभंगो, एवं एए नव भंगा, एगिदियाणं अभंगतं, नारगादीणं तियभंगा जाव वेमाणियाणं, नवरं मसाणं पुच्छा, सवेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधते य अट्ठविहवं
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