________________
अथ षड्विंशतितमं कर्मवेदबन्धाख्यं पदं ॥ २६ ॥
cिeaeeeeeeeeeeeeeek
अधुना षड्विंशतितममारभ्ये, तत्र चेदमादिसूत्रम्- . कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णताओ, गो० ! अह कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तं0-णाणा० जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, जीवे णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ?, गो० ! सत्तविहबंधए वा अवविहबंधए वा छबिहबंधए वा एगविहबंधए वा, नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं वेदेमाणे कति कम्म० बंधति ?, गो.! सत्तविहबंधए वा अट्ठवि०, एवं जाव वैमाणिते, एवं मणसे जहा जीवे, जीवाणं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं वेदेमाणा कति० ! कम्मपगडीतो बंधंति !, गो० ! सवेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविह० १ अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहबंधगा य छबिहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगाय छबिहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधए य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठवि० छबिहबंधए य एगविहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अडवि० छविहबंधए य एगविहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अढवि० छविह० एगविहबंधए य ८, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठ०
TEERTREEEEEEEeeeeeeeee
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org