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________________ प्रज्ञापना याः मलय० वृत्तौ. ॥१४५॥ याना च भागानामुद्वर्त्तनायाश्च संभवात्, तेभ्योऽधोलोके - अधोलोकवर्त्तिनो विशेषाधिकाः ऊर्द्धलोकक्षेत्रादधो| लोकक्षेत्रस्य विशेषाधिकत्वात् । तदेवं सामान्यतो जीवानां क्षेत्रानुपातेनाल्पबहुत्वमुक्तम्, इदानीं चतुर्गतिदण्डकक्रमेण तदभिधित्सुः प्रथमतो नैरयिकाणामाह खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवा नेरइया तेलोक्के अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा, अहोलोए असंखेज्जगुणा ॥ खेचाणुवाएणं सवत्थोवा तिरिक्खजोणिया उडलोयतिरियलोए अहोलोय तिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखेज्जगुणा तेलोके असंखेज्जगुणा उडलोए असंखेज्जगुणा अहोलोए विसेसाहिया ॥ खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवाओ तिरिक्खजोणिणीओ उड्डलोए उलो तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ तेलोके संखेजगुणाओ अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणाओ अहोलोए संखेजगुओ तिरियो संखेज्जगुणाओ || खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवा मणुस्सा तेलोके उडलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा उड्डुलोए संखेजगुणा अहोलोए संखेज्जगुणा तिरियलोए संखेज्जगुणा । खेत्ताणुवाएणं सवत्थोवा मणुस्सीओ तेलोक्के उडलोयतिरियलोए संखेजगुणाओ अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणाओ उड्डलोए संखेज्जगुणाओ अहोलो संखे गुणाओ तिरियलोए संखेज्जगुणाओ || खेत्ताणुवाएणं सङ्घत्थोवा देवा उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलो संखेज्जगुणा अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा अहोलोए संखेज्जगुणा तिरियलोए संखेज्जगुणा । खेत्ताणुवा Jain Education International For Personal & Private Use Only ३ अल्प बहुत्वपदे गत्यपेक्षयाऽल्प० सूत्रं. ८३ ॥१४५॥ www.jainelibrary.org
SR No.600240
Book TitlePragnapanopangamsutram Part 01
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages752
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_pragyapana
File Size14 MB
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