SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 288
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीराजप्रश्नी म मलयगिरीया वृत्तिः क्षामणा दानोपदेशः म.७७-७८ ॥१४३॥ तया णं णसाला अरमाणिज्जा भवति, जया णं इवखुवाडे हिजइ भिजइ सिजइ पिज्जइ दिज्जइ तया णं इवयाने रमणिज्जे भवइ, जया णं इवखुवाहे जो छिज्जइ जाव तया इकखुवाडे अरमणिज्जे भवइ, जया णं खलवाडे उच्छुब्भइ उडुइज्जइ मलाइजइ मुणिज्जइ खज्जइ पिज्जइ दिज्जइ तया ण रूलबाडे रमणिज्जे भवति, जया णंखलवाडे नो उच्छुभइ जाव अरमणिण्जे भवति, से तेणटेणं पसी!एवं वुछइमाण तुमं पएसी! पुर्वि रमणि जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविज्जासि जहा वणसंह बा, तए णं पएसी केसि कुमारसमणं एवं वयासी-णो खलु भंते ! अहं पुचि रमणिजे भावितापमछा अरमणिजे भविरसामि, जहा वणरुदेइ वा जाव रूलवाइ वा, अहंण सेय. वियानगरीपमुवनाई सत्त गामसहस्साई चत्तारि भागे करिस्सामि, एगं भागं बलवाहणस्स दलइस्सामि, एगं भागं कुट्ठागारे हुभिरसामि, एगं मागं अंतेरस दल इरसामि, एगेणं भागेणं महतिमहलयं कूडागारसालं करिरसामि, तथणं बहूहि पुरिसेहि दिन्न भइभत्तवेयणेहिं विउलं असणं० उवक रूडावेत्ता बहूणं समणमाहणभिवखुयाण पंथियपहियाणं परिभाएमाणे २ बहूहिं सीलक्ष्यगुणवयबेरमणपञ्चक खाणपोसहोववासरस जाब विहरिरसामितिकट्ट जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पटिगए ॥ (सू०७८)॥तए णं से पएसी राया कल्लं जाव तेयसा जलंते सेयवियापामोक्खाई सत्त गामसहरसाईचत्तारि भाए कीरइ, एगं भागं बलवाहणरस दलइ जाव कूडागारसालं करेइ, T१४३॥ a Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy