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________________ भुजो २ सम्म विणएणं खामित्तएत्तिक जामेव दिसि पाउनृते तामेव दिसि पडिगर॥ तए णं से पएसीराया कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते हहतुट्ठ जाव हियए जहेव कूणिए तहेव निग्गच्छइ अंतेउरपरियाल सद्धि संपरिबुडे पंचविहेणं अभिगमेणं वंदइ नमसइ एयमद्वं भुज्जी२ सम्म विणएणं खामेइ । (सू०७५) तर णं केसी कुमारसमणे पएसिस्स रण्णो सूरियकंतप्पमुहाणं देवीणं तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए जाव धम्म परिकहेइ । तए णं से पएसीराया धम्म सोचा निसम्म उडाए उठेति २ केसिकुमारसमणं वंदइ नर्मसइ २त्ता जेणेव सेयविया नगरी तेगेव पहारेत्थ गमगाए। तर णं केसो कुमारसमणे पएसिरायं एवं वदासी-मा णं तुम पएसी! पुत्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविजासि, जहा से वणसंडे इ वा णसालाइ वा इक्खुवाडए इ वा खलवाडए इवा, कहंणं भंते!, वग संडे पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अतीव उवसोभेमाणे २ चिट्ठइ, तथा णं वगसंडे रमणिज्जे भवति,जया णं वणसंडेनो पत्तिए नो पुफिए नो फलिए नो हरियगरिरेजमाणो सिरीए अईव २ उवसोभेमाणे चिट्ठइ तया णं जुन्ने झडे परिसडियपंडुपत्ते सुकरुक्खे इव मिलायमाणे चिट्ठइ तया तया णं वणे णो रमणिज्जे भवति, जया णं णसालावि गिजइ वाइजइ नचिजइ हसिज्जइ रमिजइ तया णं णसाला रमणिज्जा भवइ, जया णं नसाला णो गिजइ जाव णो रमिजइ Jain Education Ilv For Personal & Private Use Only Allw.jainelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
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