SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विततं घणं झुसिरं,अप्पेगइया देवा चउव्विहंगेयं गायंति,तं०-उक्रिखत्ताय पायत्तायं मंदायं रोइताव. साणं,अप्पेगतिया देवा दुयं नविहिं उवदसिंति अप्पेगतिया विलंबियणहविहिं उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा दुतविलंबियं विहिं उवदसेंति, एवं अप्पेगतिया अंचियं नविहिं उबदसेंति अप्पेगतिया देवा आरभ भसोलं आरभडभसोलं उप्पयनिचयपमत्तं सकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतणामं दिवं णविहिं उवदंसंति अप्पेगतिया देवाचउबिहं अभिणयं अभिणयंति,तंजहा-दितियं पाडंतियं सामंतोवणिवाइयं लोगअंतोमज्झावसाणियं, अप्पेगतिया देवा बुक्कारेंति अप्पेगतिया देवापीणेति अप्पेगतियऽ वासेंति अप्पेगतिया हक्कारेंति अप्पेगतिया विणतितडवेंति अप्पेगइया वग्गंति अप्फोडेतिअप्पेगतिया अप्फोडेंतिवगंति अप्पे तिवई छिदंति अप्पेगतिया यहेसियं करेंति,अप्पेगतिया हत्थिगुलगुलाइय करेंति, अप्पेगतिया रहघणघणाइयं करेंति,अप्पेगतिया हयहेसियहत्थिगुलगुलाइयरघणघणाइयं करेंति अप्पेगतिया उच्छोलेंति अप्पेगतिया पच्छोलेंति अप्पेगतिया उक्किद्वियं करेंतिअ० उच्छोलेंति पच्छोलेंतिउ०अप्पेगतिया तिन्निवि, अप्पेगतिया उवायंति अप्पेगतिया उववायति अप्पेगतिया परिवयंति अप्पेगइया तिन्निवि, अप्पेगइया सीहनायति अप्पेगतिया दद्दरयं करेंति अप्पेगतिया भूमिचवेड दलयंति अप्पे० तिन्निवि अप्पेगतिया गज्जति अप्पेगतिया विज्जुयायंति अप्पेगइया वासं वासंति अप्पेगतिया तिन्निवि करेंति, अप्पेगतिया जलंति अप्पेगतिया तवंति Jain Education Interial For Personal & Private Use Only HAREinelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy