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श्रीराजप्रश्नी
मलयगिरी
सूर्याभस्या भिषेक मू०४२
या वृत्तिः
॥१०१॥
अप्पेगतिया पतवेंति अप्पेगतिया तिन्निवि, अप्पेगतिया हक्कारेंति अप्पेगतिया थुक्कारेंति अप्पेगतिया धक्कारेंति, अप्पेगतिया साई २ नामाइं साहति अपेगतिया चत्तारिवि, अप्पेगइया देवा देवसनिवार्य करेंति, अप्पेगतिया देवुज्जोयं करेंति, अप्पेगइया देवुक्कलियं करेंति, अप्पेगइया देवा कहकहगं करेंति, अप्पेगतिया देवा दुहृदुहगं करति, अप्पेगतिया चेलुखेवं करेंति, अप्पेगइया देवसन्निवायं देवुजोयं देवुक्कलियं देवकहकहगं देवदुहदुहगं चेलुक्खेवं काति, अप्पेगतिया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया अप्पेगतिया कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छयहत्थगया हट्ट तुट्ठ जाव हियया सक्तो समंता आहावंति परिधावति । तए णं तं सूरियाभं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे सूरियाभरायहाणिवत्थवा देवा य देवीओ य महया महया इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति अभिसिंचित्ता पत्तेयं २ करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासी-जय २ नंदा जय २ भद्दा जय जय नंदा भई ते अजियं जिणाहि जियं च पालेहि जियमज्झे वसाहि इंदो इव देवाणं चंदो इव ताराणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं भरहो इव मणुयाणं बरई पलिओवमाई बहई सागरोवमाई बहूई पविओवमसागरोवमाई चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं सूरियाभस्स विमाणस्स अन्नेसिं च बहूणं सूरियाभविमाणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवचं जाव महया २ कारे
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॥१०१ ॥
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