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________________ उत्तराध्य. ॥३२॥ सोऊण तं भगवओ गच्छइ तहि गोअमो पहिअकित्ती। आरुहइ तं नगवरं पडिमाओ वंदइ जिणाणं २९१ . दुमपत्रक अह आगओ सपरिसो सविडीए तहिं तु वेसमणो।वंदित्तु चेइयाइं अह वंदइ गोअमं भयवं ॥२९॥ बृहद्धत्तिः मध्ययनं. अह पुंडरीअनायं कहेइ तहि गोयमो पहियकित्ती । दसमस्स य पारणए पवावेसीअ कोडिन्नं ॥२९३॥ तस्स य वेसमणस्सा परिसाए सुरवरो पयणुकम्मो। तं पुंडरीयनायं गोयमकहिअं निसामेइ ॥२९४॥3 घित्तूण पुंडरीअं वग्गुविमाणाओं सो चुओ संतो। तुंबवणे धणगिरिस्सा अज्जसुनंदासुओ जाओ २९५ * दिन्ने कोडिन्ने या सेवाले चेव होइ तइए य । इकिकस्स य तेसिं परिवारो पंच पंच सया ॥ २९६ ॥ हेटिल्लाण चउत्थं मज्झिल्लाणं तु होइ छटुं तु । अट्टममुवरिल्लाणं आहारो तेसिमो होइ ॥ २९७ ॥ कंदाई सञ्चित्तो हिटिल्लाणं तु होइ आहारो । बीआणं अञ्चित्तो तइआणं सुक्कसेवालो ॥ २९८॥ | 18 तं पासिऊण इडिं गोयमरिसिणो तओ तिवग्गावि । अणगारा पवइआ सप्परिवारा विगयमोहा २९९ ।। ॥३२॥ एगस्स खीरभोअणहेऊ नाणुप्पया मुणेयवा। एगस्स परिसादसणेण एगस्सय य जिणंमि ॥ ३०० ॥४ केवलिपरिसं तत्तो वच्चंता गोयमेण भणिआ य । इउ एह वंदह जिणं कयकिञ्च जिणेण सो भणिओ ३०१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600235
Book TitleUttaradhyayansutram Part 02
Original Sutra AuthorVadivetal, Shantisuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year
Total Pages568
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size10 MB
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