SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SAHASRAERS अवस्स कायव्वयं हवइ जम्हा । अंतो अहो णिसस्स य तम्हा आवस्सयं नामं ॥१॥" ॥ आवश्यकाद् व्यतिरिक्तं ततो यदन्यदिति । 'आवस्सगवतिरित्ते'इत्यादि, यदिह दिवसनिशाप्रथमपश्चिमपौरुषीद्वय एव पठ्यते तत्कालेन निवृत्तं कालिकम्-उत्तराध्ययनादि, यत्पुनः कालवेलावर्ज पठ्यते तदूर्व कालिकादित्युत्कालिक-दशकालिकादीति ॥ उक्तं ज्ञानं, चारित्रं प्रस्तावयति दुविहे धम्मे पं० त०-सुयधम्मे चेव चरित्तधम्मे चेव, सुयधम्मे दुविहे पं०.२०-सुत्तसुयधम्मे चेव अत्थसुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे दुविहे पं० सं०-अगारचरित्तधम्मे चेव अणगारचरित्तधम्मे चेव, दुविहे संजमे पं० २०-सरागसंजमे चेव । वीतरागसंजमे चेव, सरागसंजमे दुविहे पं० तं०-सुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव बादरसंपरायसरागसंजमे 'चेव, सुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते, तं०-पढमसमयसुहमसंपरायसरागसंजमे चेव अपढमसमयसु०, अथवा चरमसमयसु० अचरिमसमयसु०, अहवा सुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० २०-संकिलेसमाणए चेव विसुज्झमाणए चेव, बादरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० २०-पढमसमयबादर० अपढमसमयबादरसं०, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, अहवा बायरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० त०-पडिवाति चेव अपडिवाति चेव, वीयरागसंजमे दुविहे पं० २०उवसंतकसायवीयरागसंजमे चेव खीणकसायवीयरागसंजमे चेव, उवसंतकसायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे चेव अपढमसमयउव०, अह्वा चरिमसमय अचरिमसमय०, खीणकसायवीतरागसंजमे दुविहे पं० तं०-छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे चेव केवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेव, छउमत्थखीणकसायवी WAXAAAAAAAA Jain Education International For Personal & Private Use Only animainelibrary.org
SR No.600228
Book TitleSthanangsutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages580
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy