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श्रीसमवा
यांगे श्रीअभय० वृत्तिः
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ष्टिवादः
॥१२९॥
परिमाणं जिणमणपजवओहिनाणसम्मत्तसुयनाणिणो य वाई अणुत्तरगई य जत्तिया सिद्धा पाओवगआ य जे जहिं जत्तियाई भत्ताइ छेअइत्ता अंतगडा मुणिवरुत्तमा तमरओघविप्पमुक्का सिद्धिपहमणुत्तरं च पत्ता, एए अन्ने य एवमाइया भावा मूलपढमाणुओगे कहिआ आघविजंति पण्णविजंति परू० सेत्तं मूलपढमाणुओगे, से किंतं गंडियाणुओगे?, अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा-कुलगरगंडियाओ तित्थगरगंडियाओ गणहरगंडियाओ चक्कहरगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ उस्सप्पिणीगंडियाओ ओसप्पिणीगंडियाओ अमरनरतिरियनिरयगइगमणविविहपरियट्टणाणुओगे, एवमाइयाओ गंडियाओ आघविजंति पण्णविजंति परूविजंति, सेत्तं गंडियाणुओगे, से किं तं चूलियाओ ?, जण्णं आइलाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलियाओ, सेसाई पुवाई अचूलियाई, सेत्तं चूलियाओ, दिहिवायस्स णं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखजाओ पडिवत्तीओ संखेजाओ निज्जुत्तीओ संखेजा सिलोगा संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगट्टयाए बारसमे अंगे एगे सुयखंधे चउद्दस पुत्वाइं संखेजा वत्थू संखेजा चूलवत्थू संखेजा पाहुडा संखेजा पाहुडपाहुडा संखेजाओ पाहुडियाओ संखेजाओ पाहुडपाहुडियाओ संखेजाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पन्नत्ता, संखेजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पन्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजंति पण्णविजंति परूविजंति दंसिजंति निदंसिर्जति उवदंसिजंति, एवं णाया एवं विण्णाया एवं चरणकरणपरूवणया आधविजंति, सेत्तं दिठिवाए, सेतं दुवालसंगे गणिपिडगे ॥१२॥ (सूत्रं १४७) 'से किं तं दिद्विवाए'त्ति दृष्टयो-दर्शनानि वदनं वादो दृष्टीनां वादो दृष्टिवादः दृष्टीना वा पातो यत्रासौ दृष्टिपातः
॥१२९॥
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