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________________ श्रीसमवायांगे श्रीअभय० वृत्ति: ॥११९॥ से किं तं उवासगदसाओ ?, उवासगदसासु णं उवासयाणं णगराई उज्जाणाई चेइआई वणखंडा रायाणी अम्मापियरों समीसरणाइं धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइयइडिविसेसा उवासयाणं सीलव्वय वेरमण गुणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडिवज्रणयाओ सुयपरिग्गहा तवोवहाणा पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाया पुणो बोहिलामा अंतकिरियाओ आघविअंति, उवासगदसासु णं उवासयाणं रिद्धिविसेसा परिसा वित्यरधम्मस्वणाणि बोहिलाभअभिगमसम्मत्तविसुद्धया थिरत्तं मूलगुणउत्तरगुणाइयारा ठिईविसेसा य बहुविसेसा पडिमाभिग्गहग्गहणपालणा उवसग्गाहियासणा णिरुवसग्गा य तवा य विचित्ता सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपो सहोववासा अपच्छिममारणंतिया य संलेहणाझोसणा अप्पाणं जह य भावइत्ता बहूणि भत्ताणि अणसणाए य छेअइत्ता उववण्णा कप्पवरविमाणुत्तमेसु जह अणुभवंति सुरवरविमाणवरपोंडरीएसु सोक्खाई अणोवमाई कमेण भुत्तूण उत्तमाई तओ आउक्खएणं चुया समाणा जह जिणमयम्मि बोहिं लद्धूण य संजमुत्तमं तमरयोघविप्पमुक्का उवेंति जह अक्खयं सव्वदुक्खमोक्खं, एते अन्नेय एवमाइअत्था वित्थरेण य, उवासयदसासु णं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगट्टयाए सत्तमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झणा दस उद्देणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजाई पयस्यसहस्साइं पयग्गेणं प० संखेजाई अक्खराई जाव एवं चरणकरणपरूवणया आघविअंति, सेत्तं उवासगदसाओ ७ ॥ सूत्रं १४२ ॥ 'से किं तमित्यादि अथ कास्ता उपासकदशाः १, उपासकाः श्रावकास्तद्गतक्रियाकलापप्रतिबद्धा दशाः - दशाध्ययनोपलक्षिता उपासकदशाः, तथा चाह - ' उपासकदसासु णं' उपासकानां नगराणि उद्यानानि चैत्यानि वनखण्डा Jain Educationonal For Personal & Private Use Only १४२ उ पासकदशाङ्गाधि कारे. ॥११९ ॥ inelibrary.org
SR No.600227
Book TitleSamvayangasutram
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size6 MB
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