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द्र जाव लोगचरिमंतोत्ति। कहिन्नं भंते! परंपरोववन्नगयायरपुढविकाइयाणं ठाणा प०१, गोयमा! सहाणेणं | अट्ठसु पुढवीसु एवं एएणं अभिलावेणं जहा पढमे उद्देसए जाव तुल्लद्वितीयत्ति । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ३४॥३॥
एवं सेसावि अट्ट उदेसगा जाव अचरमोत्ति, नवरं अणंतरा अणंतरसरिसा परंपरा परंपरसरिसा चरमा |य अचरमा य एवं चेव, एवं एते एक्कारस उद्देसगा ॥ (सूत्रं ८५३) ॥३४॥४॥ पढमं एगिदियसेढीसयं सम्मत्तं ॥ कइविहा णं भंते! कण्हलेस्सा एगिदिया प०?, गोयमा! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया प० भेदो चउकाओ जहा कण्हलेस्सएगिंदियसए जाव वणस्सइकाइयत्ति । कण्हलेस्सअपजत्तासुहमपुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसओ जाव लोगचरिमंतेत्ति सबत्थ कण्हलेस्सेसु चेव उववाएयत्वो । कहिन्नं भंते! कण्हलेस्सअपजत्तबायरपुढविकाइयाणं ठाणा प० एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहिउद्देसओ जाव तुल्लट्ठिइयत्ति।सेवं भंते!२त्ति ॥ एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढम
सेढिसयं तहेव एकारस उद्देसगा भाणियवा ३४-११॥ बितियं एगिदियसेढिसयं सम्मत्तं ॥ एवं नीललेस्सेहिदि है तइयं सयं । काउलेस्सेहिवि सयं, एवं चेव चउत्थं सयं। भविसिद्धियएहिवि सयं पंचमं सम्मत्तं ॥ कइविहाणं
भंते! अणंतरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिडिया एगिदिया प० जहेव अणंतरोववन्नउद्देसओ ओहिओ तहेव ॥ कइविहा णं भंते! परंपरोववन्ना कण्हलेस्सभवसिद्धिया एगिंदिया प०?, गोयमा! पंचविहा परंपरोववन्ना कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिया पं० ओहिओ भेदो चउक्कओ जाव वणस्सइकाइयत्ति । परंपरोववन्नकण्हलेस्स
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