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________________ व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः२ ॥९१२॥ TAGASISISHAHAHISISHISH गोयमा ! सवत्थोवे अहक्खायसंजमस्स एगे अजहन्नमणुकोसए संजमहाणे सुहमसंपरागसंजयस्स अंतोमुह |२५ शतके त्तिया संजमहाणा असंखेनगुणा परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमहाणा असंखेजगुणा सामाइयसंजयस्स उद्देशः ७ छेदोवट्ठावणियसंजयस्सय एएसि णं संजमट्ठाणा दोण्हवि तुल्ला असंखेजगुणा १४ ॥ (सूत्रं ७९१) सामाइय- कालगतिसंजयस्स गं भंते ! केवइया चरित्तपजवा प०१, गोयमा ! अणंता चरित्तपजवा प० एवं जाव अहक्खायसं- संयमस्थाजयस्स ॥ सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भ नचरित्र|हिए ?, गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, सामाइयसंजए णं भंते ! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परहाणसन्निगा पर्यवासू ७८९-७९२ सेणं चरित्तपजवेहिं पुच्छा, गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, एवं परिहारविसुद्धियस्सवि, सामाइयसंजए |णं भंते ! सुहमसंपरागसंजयस्स परट्टाणसन्निगासेणं चरित्तपन्जवे पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भ हिए अणंतगुणहीणे, एवं अहक्खायसंजयस्सवि, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, हेडिल्लेसु तिसुवि समं छट्ठाणवडिए | उवरिल्लेसु दोसु तहेव हीणे, जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिएवि, मुहुमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स परहाण पुच्छा, गोयमा!नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, एवं छेओवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समं सहाणे सिय हीणे नो तुल्ले सिय अब्भहिए, जइहीणे अणंतगुणहीणे अह अन्भहिए। अणंतगुणमन्भहिए, सुहमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परहाणे पुच्छा, गोयमा! हीणे नो तुल्ले नो ॥९१२॥ अन्भहिए अणंतगुणहीणे, अहक्खाए हेहिल्लाणं चउण्हवि नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अणंतगुणमन्भहिए, ल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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