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गंताओ, मृत दबूयाए कि पूर्व चेव, एवं नो नो अणंताओ, दबट्टयाए कि सर्व चेव ३, ए
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नो असंखे० अणंताओ, पाईणपडीणायताओणं भंते ! सेढीओ दबट्टयाए किं संखेजाओ एवं चेव ३, एवं दाहिणुत्तरायताओवि एवं उड्डमहायताओवि । लोगागाससेढीओ णं भंते ! दबट्टयाए किं संखेजाओ असंखेजाओ अणंताओ?, गोयमा ! नो संखेजाओ असंखेजाओ नो अणंताओ, पाईणपडीणायताओ णं भंते ! | लोगागाससेढीओ दवट्टयाए किं संखेजाओ एवं चेव, एवं दाहिणुत्तराययाओवि, एवं उडमहायताओवि । अलोयागाससेढीओ णं भंते ! दट्टयाए किं संखेजाओ असंखेजाओ अणंताओ?,गोयमा!नो संखेजाओनो असंखेजाओ अणंताओ, एवं पाईणपडीणाययाओवि एवं दाहिणुत्तराययाओवि एवं उड्डमहायताओवि । | सेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए किं संखेजाओ जहा दबट्टयाए तहा पएसट्टयाएवि जाव उड्डमहाययाओवि
सबाओ अणंत। लोयागाससेढीओ णं भंते ! पएस० किं संखेजाओ पुच्छा, गोयमा ! सिय संखे०सिय | असं० नो अणंताओ एवं पाईणपडीणायताओ दाहिणुत्तरायताओवि एवं चेव उड्डमहायताओवि नो संखजाओ असंखे० नो अणंताओ॥ अलोगागाससेढीओ णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा! सिय संखे० सिय असं० सिय अणंताओ पाईणपडीणाययाओ णं भंते ! अलोया० पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा
ओ नो असंखेजाओ अणंताओ, एवं दाहिणुत्तरायताओवि, उड्डमहायताओ पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेज्जाओ सिय असं० सिय अणंताओ (सूत्रं ७२८)॥ । 'सेढी'त्यादि, श्रेणीशब्देन च यद्यपि पङ्किमात्रमुच्यते तथाऽपीहाकाशप्रदेशपतयः श्रेणयो ग्राह्याः, तत्र श्रेणयोsविवक्षितलोकालोकभेदत्वेन सामान्याः१ तथा ता एव पूर्वापरायताः२ दक्षिणोत्तरायताः ३ अधिआयताः ४, एवं लो
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