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________________ सगस्स कयरे २ जाव विसेसा?, गोयमा ! सबथोवे कम्मगसरीरजहन्नजोए १ ओरालियमीसगस्स जहनजोए असंखे०२ वेउब्वियमीसगस्स जहन्नए असं०३ ओरालियसरीरस्स जहन्नए जोए असं० ४ वेउवियसरीरस्स जहन्नए जोए असं०५ कम्मगसरीरस्स उक्कोसए जोए असंखे०६ आहारगमीसगस्स जहन्नए | जोए असं०७ तस्स चेव उक्कोसए जोए असं०८ ओरालियमीसगस्स ९ वेउवियमीसगस्स १०, एएसि8 णं उक्कोसए जोए दोण्हवि तुल्ले असंखे०, असचामोसमणजोगस्स जहन्नए जोए असं० ११ आहारसरीरस्स जहन्नए जोए असंखे० १२ तिविहस्स मणजोगस्स १५ चउविहस्स वयजोगस्स १९ एएसि णं सत्तण्हवि तुल्ले जहन्नए जोए असं०, आहारगसरीरस्स उक्कोसए जोए असं०२० ओरालियसरीरस्स वेवियस्स चउधिहस्स य मणजोगस्स चउविहस्स य वइजोगस्स एएसि णं दसण्हवि तुल्ले उक्कोसए जोए असंखेजगुणे ३० सेवं भंते ! २त्ति (सूत्रं ७१९)॥ पणवीसइमे सए पढमो उद्देसो २५-१॥ __'कइविहे ण' मित्यादि, व्याख्या चास्य प्राग्वत् ॥ योगस्यैवाल्पबहुत्वं प्रकारान्तरेणाह-'एयस्स ण' मित्यादि, इहापि योगः परिस्पन्द एव, इह चेयं स्थापना | २ ३ ४ १ । २ ३ । ४ १ २ ३ ४ मिश्र ५ ६ सत्यमनो असत्यमन मिश्रमन असत्यामृ सत्यवाक् असत्यवाक् मिश्रवाकू असत्यामृ. औदारिक औदारिक मेश्र वैक्रिय किय आहारक आहारकमिश्र कार्मण जघन्य १२ जघन्य १२ जघन्य १२ जघन्य १० जघन्य १२ जघन्य १२ जघन्य १२ जघन्य १२ जघन्य४ जघन्य २ जघन्य ५ जघन्य ३ जघन्य ११ जघन्य ७ जघन्य १ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट १४ उस्कृष्ट ९ उत्कृष्ट १४ उत्कृष्ट उत्कृष्ट १३ उस्कृष्ट ८ उत्कृष्ट ६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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