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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः अभयदेवीयावृत्तिः२
१९शतके उद्देशा३ पृथ्व्यादिशरीरमहत्तावेदने सू ६५३
॥७६६॥
| स च प्रतीत एव, 'जावइया सरीर'त्ति यावन्ति शरीराणि प्रत्येकशरीरत्वात्तेषामसङ्ख्येयान्येव 'से एगे सुहमै तेउसरीरे'त्ति तदेकं सूक्ष्मतेजःशरीरं तावच्छरीरप्रमाणमित्यर्थः॥ प्रकारान्तरेण पृथिवीकायिकावगाहनाप्रमाणमाह
पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए रन्नो चाउरंतचकवहिस्स वन्नगपेसिया तरुणी बलवं जुग जुवाणी अप्पायंका वन्नओ जाव निउणसिप्पोवगया नवरं चम्मेट्ठदुहणमुट्टियसमायणिचियगत्तकाया न भण्णति सेसं तं चेव जाव निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वयरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वट्टावरएणं एगं महं पुढविकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय प०२पडिसंखिविय पडि० २ जाव इणामेवत्तिकट्ठतिसत्तक्खुत्तो उप्पीसेजा तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगतिया पुढविक्काइया आलिद्धा अत्थेगइया पुढविक्काइया नो आलिद्धा अत्थेगइया संघट्टि(हिया अत्थेगइया नो संघहि(हिया अत्थेगइया परियाविया अत्थेगइया नो परियाविया अत्थेगइया उद्दविया अत्थेगइया नो उद्दविया अत्थेगइया पिट्ठा अत्थेगतिया नोपिट्ठा, पुढविकाइयस्स णं गोयमा! एमहालिया सरीरोगाहणा पपणत्ता ॥ पुढविकाइएणं भंते ! अकंते समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणुब्भवमाणे विहरति ?, गोयमा ! से जहानामए के पुरिसे तरुणे बलवं जाव निउणसिप्पोवगए एगं पुरिसं जुन्नं जराजजरियदेहं जावदुब्बलं किलंतं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहणिज्जा से णं गोयमा ! पुरिसे तेणं पुरिसेणं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणुब्भवमाणे विहरति ?, अणिटुं समणाउसो', तस्स गं गोयमा ! पुरिसस्स
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